हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच समझौता हो सकता है। इस संभावना का संकेत कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में दिया। उन्होंने पार्टी के नेताओं से इस समझौते को लेकर उनकी राय मांगी।
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस का गठबंधन सफलता नहीं पा सका था। इसके बावजूद, अब हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए दोनों पार्टियों के बीच हाथ मिलाने की खबरें सामने आ रही हैं। यह चर्चा सोमवार को कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद तेज हुई। इस बैठक में राहुल गांधी ने अपने नेताओं से इस गठबंधन पर राय मांगी। खबरों के अनुसार, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आप को 3-4 सीटें देने पर सहमति जताई है। आइए जानते हैं कि इस गठबंधन के पीछे की राजनीति क्या है और किसके लिए यह फायदेमंद हो सकता है।
राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं से मांगी राय
दिल्ली में सोमवार को कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई, जिसमें हरियाणा के उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा की गई। खबरों के अनुसार, कांग्रेस ने हरियाणा के 30 से अधिक उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर दिए हैं, जिनकी घोषणा बुधवार को हो सकती है।
बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी के नेताओं से हरियाणा में आम आदमी पार्टी से गठबंधन को लेकर उनकी राय मांगी। हालांकि, कांग्रेस ने इस विषय में अभी तक आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा है।
कांग्रेस के साथ गठबंधन पर संजय सिंह की प्रतिक्रिया
वहीं, हरियाणा में कांग्रेस से गठबंधन की खबरों का आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से बीजेपी को हराना हम सबकी प्राथमिकता है। उनकी नफरत की राजनीति, जन विरोधी नीतियों और महंगाई के खिलाफ हमारा मोर्चा है। इसलिए यह गठबंधन जरूरी है।”
हरियाणा आप के प्रमुख सुशील कुमार गुप्ता ने कहा कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का जो भी फैसला होगा, उन्हें मंजूर होगा। उन्होंने बताया कि पार्टी सभी 90 विधानसभा सीटों पर तैयारी कर रही है।
लोकसभा चुनाव में कैसा रहा था प्रदर्शन
इससे पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आप का गठबंधन सफल नहीं हो पाया था। हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात और गोवा में हुए इस समझौते के बाद केवल चंडीगढ़ और हरियाणा में जीत मिली थी, जबकि आप को कोई सफलता नहीं मिली थी। लोकसभा चुनाव के बाद दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला था, जिससे यह साफ हुआ कि यह समझौता केंद्रीय नेतृत्व के कारण हुआ था, जबकि स्थानीय नेतृत्व इसके पक्ष में नहीं था।
हरियाणा में गठबंधन की संभावना के पीछे की राजनीति
हरियाणा में आप के साथ गठबंधन की बात कई लोगों को चौंकाने वाली लग सकती है, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी इस समझौते के जरिए राष्ट्रीय राजनीति को मजबूत करना चाहते हैं। वह कांग्रेस को विपक्षी मोर्चे में मुख्य भूमिका में रखना चाहते हैं, भले ही इसके लिए उन्हें कुछ कुर्बानियां देनी पड़ें। यह रणनीति कुछ वैसी ही है, जैसी भूमिका बीजेपी बिहार और महाराष्ट्र में निभा रही है।