जस्टिस गवई ने यह भी कहा, “यदि कोई व्यक्ति दोषी भी पाया जाता है, तो भी बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए उसके घर को ध्वस्त नहीं किया जा सकता।” तुषार मेहता ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सफाई देते हुए कहा कि किसी भी घर को गिराने की कार्रवाई इसलिए नहीं की गई क्योंकि वह व्यक्ति किसी मामले में अभियुक्त था। उन्होंने कहा कि नोटिस पहले ही भेजा जा चुका था, जो एफिडेविट के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
हालांकि, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय के एक ट्वीट में कहा गया था कि राज्य में बुलडोज़र कार्रवाई पेशेवर अपराधियों और माफ़ियाओं के खिलाफ की जा रही है। यह ट्वीट जून 2022 का था, और कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां अपराध से जुड़े व्यक्तियों की संपत्तियों पर बुलडोज़र चलाए गए।
जावेद मोहम्मद का मामला
जून 2022 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मुस्लिम समुदाय के एक प्रदर्शन के दौरान मानवाधिकार कार्यकर्ता जावेद मोहम्मद को गिरफ्तार किया गया था। यह प्रदर्शन बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के विरोध में था। इसके बाद प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने जावेद मोहम्मद का घर गिरा दिया, यह कहते हुए कि घर अवैध रूप से बनाया गया था। लेकिन जावेद मोहम्मद के वकीलों का कहना था कि वह घर उनकी पत्नी परवीन फातिमा के नाम पर था, और उन्हें यह घर शादी से पहले उनके माता-पिता से उपहार में मिला था।
अन्य उदाहरण
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ की गई बुलडोज़र कार्रवाई में कई अन्य मामले भी सामने आए हैं। इनमें समाजवादी पार्टी के नेता हाजी रज़ा, बाहुबली नेता अतीक अहमद, और गैंगस्टर विकास दुबे के मामले शामिल हैं। इन सभी मामलों में संबंधित व्यक्तियों की संपत्तियों पर बुलडोज़र चलाया गया।
अन्य राज्यों में बुलडोज़र कार्रवाई
उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी हाल के वर्षों में बुलडोज़र कार्रवाई चर्चा का विषय रही है। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने भी गुंडों और बदमाशों के खिलाफ बुलडोज़र का इस्तेमाल किया।
सवाल और आलोचना
सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने इस तरह की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल से जून 2022 के बीच असम, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और दिल्ली में बुलडोज़र का इस्तेमाल घरों को गिराने के लिए किया गया। इन मामलों में कानूनी प्रक्रिया का पूरा पालन नहीं किया गया, ऐसा आरोप भी लगा है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकार की कार्रवाइयों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बेटे की गलती के लिए पिता का घर गिराना उचित नहीं है।