अमेरिका के अलबामा में कत्ल कर दिए गए डॉक्टर रमेश आंध्र प्रदेश के तिरूपति जिले से यूएस गए थे। अमेरिका में उन्होंने बीते तीन दशकों में जबरदस्त नाम बनाया। डॉक्टर रमेश क्रिमसन नेटवर्क के तौर पर करने वाले स्थानीय चिकित्सा अधिकारियों के एक समूह के संस्थापकों में से एक थे।
वॉशिंगटन: अमेरिका में अलबामा में शुक्रवार को भारतीय मूल के डॉक्टर रमेश बाबू पेरमसेट्टी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावरों ने उनको टस्कलोसा शहर में निशाना बनाया और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। रमेश अमेरिका में अच्छा खासा नाम रखने वाले डॉक्टर थे और वह कई अस्पतालों का संचालन कर रहे थे। डॉक्टर रमेश मूल रूस से आंध्र प्रदेश के तिरूपति जिले के रहने वाले थे लेकिन बीते तीन दशक में अमेरिका के मेडिकल जगत में उन्होंने अपना नाम स्थापित कर लिया था।
डॉक्टर पेरामसेट्टी स्थानीय चिकित्सा पेशेवरों के एक ग्रुप, क्रिमसन केयर नेटवर्क के संस्थापक और डायरेक्टर थे। क्रिमसन केयर नेटवर्क टीम ने उनकी मौत के बाद अपने बयान में कहा, ‘हमें डॉक्टर रमेश पेरामसेट्टी के दुनिया से चले जाने की सूचना मिली है। पेरामसेट्टी को उनके काम और सेवाओं के लिए उन्हें भरपूर प्यार और विश्वास मिला है। हम उनका सम्मान करना जारी रखेंगे जैसा वह चाहते थे, उसे हम आगे करेंगे। हम सभी से गुजारिश करते हैं कि पेरामसेट्टी और क्रिमसन केयर नेटवर्क परिवार के लिए दुआ करें क्योंकि हम इस चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहे हैं।’
डॉक्टर रमेश के वेडमेड पेज के मुताबिक उन्होंने 1986 में श्री वेंकटेश्वर मेडिकल कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। उन्होंने आपातकालीन चिकित्सा और पारिवारिक चिकित्सा में विशेषज्ञता हासिल की और टस्कलोसा और चार दूसरे स्थानों पर भी प्रैक्टिस की। 38 साल का मेडिकल फील्ड का तजुर्बा रखने वाले डॉक्टर रमेश क्षेत्रीय चिकित्सा केंद्र से संबद्ध थे और उनके पास बाल स्वास्थ्य में भी डिप्लोमा (डीसीएच) था। चिकित्सा पेशे में उनके महत्वपूर्ण योगदान को सम्मान देते हुए टस्कलोसा में एक सड़क का नाम भी उनके नाम पर रखा गया था। डॉक्टर पेरामसेट्टी को कोविड महामारी के दौरान अपनी भूमिका के लिए भी पुरस्कार मिले थे।
अमेरिका में कई अस्पताल चलाने और बहुत मशहूर होने के बावजूद उनका अपने जिले से लगाव बना रहा था। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर पेरामसेट्टी ने आंध्र प्रदेश के मेनकुरु हाई स्कूल को 14 लाख रुपए दिए थे। इसी स्कूल से उन्होंने अपनी पढ़ाई की थी। अपने गांव में एक साईं मंदिर के निर्माण में भी उनका अहम योगदान था। डॉक्टर पेरामसेट्टी अपने पीछे परिवार में पत्नी, दो बेटे और दो बेटियां छोड़ गए हैं। उनके बेटे और बेटियां अमेरिका में ही रहते हैं।