जमात के बारे में माना जाता है कि उसे लगातार पाकिस्तान से समर्थन मिलता रहा है। पाकिस्तान ने हसीना के खिलाफ जमात और उसके छात्र विंग के आंदोलन को वित्त पोषित किया है। एक्सपर्ट की मानें तो पाकिस्तान का मसकद बांग्लादेश में बीएनपी और जमात की सरकार को लाना है।
ढाका: बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार जमात-ए-इस्लामी पर से प्रतिबंध हटाने जा रही है। इस संबंध में मंगलवार को ऐलान किया जा सकता है। शेख हसीना की सरकार को हटाने में जमात की अहम भूमिका रही है, जिसका इनाम नई सरकार इस कट्टरपंथी संगठन को देने जा रही है। जमात-ए-इस्लामी पर इसी महीने शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने छात्रों के प्रदर्शनों के दौरान हिंसा फैलाने के लिए 1 अगस्त को बैन लगाया था। हसीना सरकार ने छात्र विरोध प्रदर्शन को हाईजैक कर हिंसक बनाने के लिए कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र विंग छात्र शिबिर पर प्रतिबंधित किया था। हालांकि इसके चार दिन बाद आंदोलन के उग्र रूप ले लेने की वजह से शेख हसीना को ढाका छोड़ना पड़ा। इसके बाद से जमात की देश में दखल काफी बढ़ गई है।
जमात के मोहम्मद शिशिर मनीर ने सोमवार को बताया कि प्रतिबंध हटाने का निर्णय अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस और हसीना के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले प्रदर्शनकारियों के साथ बैठक के बाद लिया गया है। द ढाका ट्रिब्यून के अनुसार मनीर ने कहा है कि हसीना के देश छोड़ने के बाद सेनाध्यक्ष ने देश के प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक होने के नाते जमात-ए-इस्लामी को भी आमंत्रित किया गया था। इसके बाद जमात ने अंतरिम सरकार की सलाहकार परिषद के गठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि जमात पर बैन गलत था और इसे वापस लिया ही जाना चाहिए।
जमात एक इस्लामवादी और पाकिस्तान समर्थक संगठन माना जाता है। जमात का हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का भी एक लंबा इतिहास रहा है। हसीना के सत्ता से हटने के बाद से देश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा देखी गई है। इसमें जमात के लोगों का नाम सामने आया है। जमात के लोगों ने 2001 में भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसी की थी, जब बीएनपी-जमात गठबंधन ने बांग्लादेशी चुनाव जीता था।
1971 में पाकिस्तान के बांग्लादेश की आजादी के आंदोलन में जमात ने पाकिस्तान का समर्थन किया था। बांग्लादेश बनने के बाद भी जमात का रुख पाकिस्तान के हक में रहा है। बांग्लादेशी राजनीति में जमात की भूमिका बढ़ने से पाकिस्तान का प्रभाव भी बांग्लादेश में बढ़ सकता है। इससे संभाव है कि बांग्लादेश में देश विरोधी तत्वों को भी बढ़ावा मिले।